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लोकसभा सीटें


हरियाणा में 10 लोकसभा की सीटें हैं जिन पर हर 05 वर्ष में चुनाव होता है। 

इतिहास 

स्वतंत्रता के बाद प्रथम आम चुनाव 1951 में हुये थे। उस समय हरियाणा के हिस्से, पंजाब और पेप्सु राज्यों के अंतर्गत आते थे। 1951-52 के चुनावों में पंजाब में 15 सीटें थीं जिन पर 18 सदस्यों का चुनाव किया जाता था तथा पेप्सु में 4 सीटों पर 5 सांसदों का चुनाव किया जाता था। 

1951-52 में पंजाब राज्य की हरियाणा क्षेत्र की सीटें - 

  1. अंबाला-शिमला 
  2. करनाल 
  3. रोहतक 
  4. झज्जर-रेवाड़ी 
  5. गुड़गाँव 
  6. हिसार 
  7. फाजिल्का-सिरसा 

1951-52 में पेप्सु राज्य की हरियाणा क्षेत्र की सीटें - 

  1. महेन्द्रगढ़ 
  2. संगरूर वर्ष 

1956 में,  राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत, भारत के राज्यों और क्षेत्रों की सीमाओं में बदलाव किया गया। इस अधिनियम के तहत पेप्सु को पंजाब राज्य में मिला दिया गया, पंजाब के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश (एक केंद्र शासित प्रदेश) का गठन किया गया और पंजाब राज्य में 22 लोकसभा की सीटें कर दी गई। इसमें से 8 सीटें वर्तमान हरियाणा को मिली थीं। 

1957 में पंजाब राज्य की हरियाणा क्षेत्र की सीटें - 

  1. अंबाला (अ. जा.) 
  2. करनाल 
  3. कैथल 
  4. रोहतक 
  5. झज्जर 
  6. गुड़गाँव 
  7. महेन्द्रगढ़ 
  8. हिसार 

दूसरी लोकसभा 1957 और तीसरी लोकसभा 1962 के चुनावों में सीटों की स्थिति यही रही थी। 

वर्ष 1966 में, संसद द्वारा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 पारित करके हरियाणा को पंजाब से अलग करके एक नया राज्य बना दिया तथा पंजाब के कुछ हिस्सों को हिमाचल केंद्र शासित प्रदेश को स्थानांतरित कर दिया गया। हरियाणा में 9 लोकसभा की सीटें कर दी गयी जिनके चुनाव 1967 (चौथी लोकसभा के लिए) में हुए। इनमें से 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। 

ये 9 लोकसभा की सीटें थीं - 

  1. अंबाला (अ. जा.) 
  2. करनाल 
  3. कैथल 
  4. रोहतक 
  5. झज्जर 
  6. गुड़गाँव 
  7. महेन्द्रगढ़ 
  8. हिसार 
  9. सिरसा (नई लोकसभा सीट) 

इन 9 लोकसभा सीटों पर 1967, 1971 में चुनाव हुए थे। 

पाँचवीं लोकसभा चुनाव 1971 में हरियाणा में केवल 1 सीट ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी - अंबाला। 

वर्ष 1972 में तीसरा परिसीमन आयोग गठित किया गया। जिसमें लोकसभा सीटों की संख्या 9 से बढ़ाकर 10 कर दी गयी। इनमें से 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। झज्जर और गुड़गाँव लोकसभा को समाप्त कर दिया गया जबकि कैथल लोकसभा का नाम परिवर्तित कर दिया गया। 10 सीटों पर पहली बार चुनाव 1977 में छठी लोकसभा के लिए हुए थे। 

ये 10 सीटें थी - 

  1. अंबाला (अ. जा.) 
  2. कुरुक्षेत्र (नाम परिवर्तित) 
  3. करनाल 
  4. सोनीपत 
  5. रोहतक 
  6. फरीदाबाद (नई लोकसभा सीट) 
  7. महेन्द्रगढ़ 
  8. भिवानी (नई लोकसभा सीट) 
  9. हिसार 
  10. सिरसा (अ. जा.) 

1977 से लेकर 2004 तक इन्हीं 10 सीटों पर आम चुनाव हुए। 

2002 में चौथा परिसीमन आयोग गठित किया गया जिसकी रिपोर्ट 2008 में प्रकाशित हुई। प्रदेश में सीटों की संख्या 10 ही रखी गयी तथा 2 ही सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गयी। गुड़गाँव लोकसभा सीट को पुनः अस्तित्व में लाया गया।  

वर्तमान में चौथे परिसीमन आयोग के अनुसार ही दस सीटें हैं - 

  1. अंबाला (अ. जा.) 
  2. कुरुक्षेत्र 
  3. सिरसा (अ. जा.) 
  4. हिसार 
  5. करनाल 
  6. सोनीपत 
  7. रोहतक 
  8. भिवानी-महेन्द्रगढ़ 
  9. गुड़गाँव 
  10. फरीदाबाद 

2009 से 2024 तक आम चुनाव इन्हीं 10 सीटों पर हुए हैं।

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